रविवार, 30 अप्रैल 2017

Mundgod..A place full of Tibetan culture...

It was a beautiful trip for me..Mundgod is a place near Hubli in karnataka...Full of monasteries...Tibetan culture and community...I was there for five days.17 april 2017 to 21 april 2017...Stayed in Tibetan guest house..Did meditation..It was a different world..Peace to mind body and soul...

शुक्रवार, 22 मार्च 2013

रेत का समंदर .मेरी दुबई यात्रा .......12 से 19 फरवरी ,2013 .....छठा अंतरराष्ट्रटीये हिन्दी सम्मेलन दुबई 2013





















 रेत का समंदर .मेरी दुबई यात्रा .......12 से 19 फरवरी ,2013 .....छठा अंतरराष्ट्रटीये हिन्दी सम्मेलन दुबई 2013
खरी खरी बाते

खरी - खरी बातें कहने का जी करता है,
पास नहीं है, तो मिलने का जी करता है।

परत- दर परत बँधी हुयी है जो गांठे
आंसू बनकर वह जाने का जी करता है।

अधर मौन है, व्यथा असहय है,
कागज पर ढल जाने का जी करता है।

हर महफ़िल में प्रशन बहुत है उठते
सका उत्तर बन जाने का जी करता है।

वर्षो से जो न लिख पाए चिट्ठी में,
उनके नयनों में पढने का जी करता है।

यूँ तो
सिर के ऊपर है आकाश बड़ा सा,
लेकिन उनकी छाया बनने का जी करता है।

नहीं जरुरी सम्बन्धों को नाम मिले,
सदा प्रवाहित रहने का ही जी करता है।

डॉक्टर रेणु पन्त

शुक्रवार, 15 मार्च 2013


My Book ' Phir Pankh Lage Pahad ko' was released by then Governor of Uttarakhand 
Mrs Marget Alva.

बहुत कठिन हूँ मै


बहुत कठिन हूँ मै

बहुत कठिन हूँ मै

कितना कठिन है तुम्हारे लिए
मेरे चेहरे पर मुस्कान
बनाये रखना।

मै जानती हूँ
कि तुम सदैव कोशिश करते हो
मै रूठने न पाऊ
लेकिन फिर भी
मै रूठ जाती हूँ बार बार
किसी न किसी बार पर
यह देखने के लिए
कि तुम मुझे कैसे मनाते हो,

मै जानती हूँ
मुझे तुम मना लोगे!
तुम्हारे लिए बहुत कठिन है
मुझे समझ पाना
इसलिए तुम मुझे
आघन्त पढते हो
और समझने का स्वांग भरते हो

तुम्हारी कोशिशो पर
मुझे ख़ुशी होती है।
मै तुम्हारी क्या हूँ ?
तुम्हारी मित्र
लेकिन बहुत टफ, बहुत कठिन

जब मै चीखती हूँ
चिल्लाती हूँ
तब तुम्हारी विवशता
तुम्हारे चेहरे पर झलकती है
एक निश्छल, सौम्य चेहरा
कितना उद्धिग्न हो जाता है
मेरे लिए।

तब में चाहती हूँ
तुम्हारी कठोरता
भिगो दे मुझे पूरा का पूरा
अपने अहसासों से।

तुम्हारे लिए कितना कठिन है
मुझे प्यार करना
क्योकि
मेरा मिजाज
और प्यार का मिजाज
एक जैसा है

दोनों को समझ पाना
आसान नहीं है
लेकिन में चाहती हूँ
तुम्हारा प्यार
मेरे लिए कठिन न हो

सचमुच
मै बहुत कठिन हूँ
तुम्हारे लिए भी
और ..........
                                                               Dr Renu Pant

क्योंकि


क्योंकि

अक्सर एक अंधेरे
कुएं में
बन्द पाती हू खुद को
बाहर की आवाजों को
सुन सकती हू
पर जब चिल्लाती हूँ 
तो मेरी आवाज
अन्दर ही घुट कर रह जाती है
लाख कोशिश करने पर भी
मेरी आवाज बाहर की
आवाजों से कभी
मिल ही नहीं पाती
शायद,क्योंकि
एक औरत हू मैं ।
                                  डा0 रेणु पन्त

पहाड़ बौना नहीं होता

 
पहाड़ बौना नहीं होता 

पर्वत पर
लफ्फाजी नहीं चलती
वहाँ
श्रम जीता है
वहाँ कमर झुक जाती है
दूध का वर्तन को
या कपड़ो का गट्ठर
पीठ पर लादे-लादे।
       पर पहाड़ कभी नहीं झुकता
       वह सिर्फ
       प्रेम की गर्मी पाकर
       पिघलता है।
पहाड़ कभी बौना नहीं होता
वह बौनों को भी
ऊँचाई देता है
सिर पर बिठाता है।
       पर्वत पर
       सूरज की गर्मी है
       हिम का मुकुट है
       पर सुलगते हुए सवाल है,
कुछ लोग
पहाड़ को भुनाते है
वातानुकूलित कक्षों में
संगोष्ठियों करते है
और कुछ लोग पहाड़ पर
कंक्रीट के महल खड़े कर
अर्थ ही अर्थ पाते है
      पहाड़, फिर भी पहाड़ ही रहता है
       स्वाभिमान का प्रतीक। 

                                     डॉक्टर रेणु पन्त